Monday, 28 July 2025



पारद शिवलिंग जिसे रसलिंगम भी कहा जाता है, शुद्ध पारे से निर्मित होता है, जिसे आयुर्वेद और तंत्रशास्त्रों में जीवित धातु का दर्जा प्राप्त है। यह धातु भगवान शिव की प्रिय मानी जाती है, और जब इसे शिवलिंग का रूप दे दिया जाता है, तो उसकी महिमा अनोखी हो जाती है।


वास्तविक रूप से, पारद शिवलिंग में प्राण प्रतिष्ठा की आवश्यकता नहीं होती क्योंकि स्वयं महादेव इसमें वास करते हैं। यह शिवलिंग रसाशास्त्र की विशेष विधियों से तैयार किया जाता है और इसमें से सभी विषैले तत्व हटाकर इसे पूर्णतः शुद्ध किया जाता है, जिससे यह एक सिद्ध धातु बनती है जो जहाँ भी स्थापित हो, वहाँ सकारात्मक ऊर्जा फैलाती है।


सावन में पारद शिवलिंग की पूजा क्यों करें?

श्रावण मास भगवान शिव को समर्पित सबसे पुण्य महीनों में से एक है। इस काल में यह माना जाता है कि शिवजी स्वयं पृथ्वी पर निवास करते हैं और अपने भक्तों की प्रत्येक प्रार्थना, चाहे वह केवल "ॐ नमः शिवाय" का जप हो या गहन ध्यान, उसे सुनते हैं। चतुर्मास काल, जो देवशयनी एकादशी से आरंभ होता है, में भगवान शिव संपूर्ण ब्रह्मांड का पालन करते हैं।


इस दौरान किसी भी रूप में शिवजी की आराधना, चाहे शिवलिंग पर जल चढ़ाने मात्र से ही क्यों न हो, सीधे भगवान शिव तक पहुँचती है और वे भक्तों की मनोकामनाएँ स्वीकार करते हैं।


शिव पुराण जैसे ग्रंथों के अनुसार, शिवजी स्वयं पारद शिवलिंग में विराजते हैं। सावन मास में सच्ची श्रद्धा से इस शिवलिंग की पूजा करने से सहस्त्र वर्षों के तप के बराबर फल प्राप्त होता है।


सावन के हर सोमवार को पारद शिवलिंग पर दूध, दही, घी, शहद, शक्कर, गंगाजल और बेलपत्र से अभिषेक करने से अपार पुण्य मिलता है, इच्छाएँ पूर्ण होती हैं और जीवन की सभी रुकावटें दूर हो जाती हैं।


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घर में पारद शिवलिंग रखने का क्या महत्व है?

ऐसा विश्वास किया जाता है कि जिस स्थान पर प्रतिदिन पारद शिवलिंग की विधिपूर्वक पूजा होती है, वहाँ माता लक्ष्मी का वास बना रहता है और धन की कभी कमी नहीं होती।


भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य आचार्य कल्कि कृष्णन जी ने अपने वीडियो में पारद शिवलिंग के महत्व को ग्रंथों के आधार पर सुंदर रूप से समझाया है, जिसे अवश्य देखें।


असली पारद शिवलिंग की पहचान कैसे करें? (Asli Parad Shivling Kaisa Hota Hai)

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1- एक शुद्ध पारद शिवलिंग अपनी बनावट के अनुसार अपेक्षाकृत बहुत भारी होता है।


2- यह चुंबक की ओर आकर्षित नहीं होता क्योंकि इसमें लोहा नहीं होता।


3- इसकी सतह चांदी जैसी चिकनी और चमकदार होती है।


4- इसे रगड़ने पर हल्के चांदी जैसे निशान बनते हैं, काले या गहरे धब्बे नहीं आते।


पारद शिवलिंग के लाभ (Parad Shivling Benefits)

1- नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है।

2- बुरी नजर और टोटकों से रक्षा करता है।

3- अशुभ ग्रहों के प्रभाव को नियंत्रित करता है।

4- धन-वैभव को आकर्षित करता है।

5- कुंडलिनी जागरण में सहायक होता है।

6- रोग, पीड़ा और भय को हटाता है।

7- पूर्वजन्म के कर्मबंधन से मुक्ति दिलाता है।

8- केवल स्पर्श से ही पापों का नाश होता है।


असली पारद शिवलिंग कहाँ से प्राप्त करें? (Asli Parad Shivling Kahan se Khareeden)

आजकल बाजार में बहुत से नकली पारद शिवलिंग उपलब्ध हैं जो मुख्यतः सीसे (Lead) से बने होते हैं और जिनमें कोई आध्यात्मिक ऊर्जा नहीं होती। इसलिए केवल विश्वसनीय स्रोतों जैसे AstroDevam.com और OriginalParad.com से ही पारद शिवलिंग खरीदें।


ध्यान दें: पारद शिवलिंग को कभी भी लोहे, स्टील या सोने की थाली में नहीं रखना चाहिए क्योंकि सोना धीरे-धीरे पारद को नष्ट करता है और लोहे व स्टील को तामसिक माना गया है। इसे तांबे या पीतल की थाली में ही रखें। साथ ही इसे उन स्थानों पर न रखें जहाँ मांसाहार या शराब का सेवन होता हो।


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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

1. घर में पारद शिवलिंग की पूजा कैसे करें?

गंगाजल या पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर) से अभिषेक करें, बेलपत्र और सफेद फूल अर्पित करें और 108 बार "ॐ नमः शिवाय" का जाप करें।

2. क्या पारद शिवलिंग को घर में रखा जा सकता है?

बिलकुल। यदि घर के मंदिर में इसे श्रद्धा और नियमपूर्वक पूजा के साथ स्थापित किया जाए, तो यह अत्यंत शुभफलदायक होता है।

3. पारद शिवलिंग की शुद्धता कैसे पहचाने?

शुद्ध पारद शिवलिंग आकार में भारी होता है, चिकना व चांदी जैसा दिखता है, और रगड़ने पर केवल हल्के चांदी के निशान देता है, गहरे काले नहीं।

4. पारद शिवलिंग या नर्मदेश्वर शिवलिंग - कौन-सा श्रेष्ठ है?

शास्त्रों में कहा गया है कि पारद शिवलिंग की आध्यात्मिक शक्ति नर्मदेश्वर शिवलिंग से 100 करोड़ गुना अधिक मानी जाती है। इसलिए पारद शिवलिंग श्रेष्ठ है। 

5. पारद शिवलिंग कब खरीदना सबसे शुभ रहता है?

हालाँकि इसे कभी भी खरीदा जा सकता है, लेकिन सोमवार, श्रावण का कोई भी दिन, महाशिवरात्रि, त्रयोदशी या श्रावण पूर्णिमा को खरीदना अत्यंत शुभ माना गया है।




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