सावन का महत्व और पारद द्वादश ज्योतिर्लिंग की महिमा
श्रावण का महीना वह समय है जब संपूर्ण सृष्टि शिव तत्व की ऊर्जा से जाग्रत हो उठती है। इस माह को साधना और शिव भक्ति के लिए अत्यंत पुण्यकारी माना गया है। ऐसा विश्वास है कि श्रावण मास में पारद द्वादश ज्योतिर्लिंग की उपासना विशेष फलदायक होती है। यह न केवल मोक्ष प्रदान करती है, बल्कि पापों का क्षय करती है, भय को समाप्त करती है, कर्म बंधनों को तोड़ती है तथा नकारात्मक शक्तियों और काले जादू से रक्षा करती है।
ज्योतिर्लिंग की स्थापना कैसे हुई
एक समय की बात है जब भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी इस बात को लेकर वाद-विवाद कर रहे थे कि उनमें से श्रेष्ठ कौन है। इस तर्क को समाप्त करने हेतु भगवान शिव ने एक अनंत प्रकाश स्तंभ — ज्योति स्तंभ — के रूप में प्रकट होकर दोनों को उसकी सीमा खोजने की चुनौती दी।
ब्रह्मा जी ने हंस का रूप धारण किया और आकाश की ओर उड़ चले ताकि वह उसकी ऊपरी सीमा ढूँढ सकें, जबकि विष्णु जी ने वराह रूप लेकर नीचे की ओर उस ज्योति का अंत तलाशने का प्रयास किया।
बहुत प्रयासों के बाद विष्णु जी ने अपनी हार स्वीकार कर ली और नम्रता से लौट आए। परंतु ब्रह्मा जी ने केतकी पुष्प को झूठा साक्षी बनाते हुए यह दावा किया कि उन्होंने शीर्ष भाग देख लिया। इस मिथ्या वचन से शिव अत्यंत रुष्ट हुए और ज्योति से प्रकट होकर:
ब्रह्मा जी को यह श्राप दिया कि वे देवताओं में होते हुए भी कभी मंदिरों में पूजित नहीं होंगे।
विष्णु जी को उनकी सत्यनिष्ठा और विनम्रता के लिए आशीर्वाद प्रदान किया।
यही ज्योतिर्लिंग शिव की वह अनंत, निराकार और शाश्वत ऊर्जा है जो धरती पर उन विशेष स्थलों पर प्रकट हुई जहाँ आज भी शिव के दिव्य रूप के दर्शन होते हैं। इन पवित्र स्थानों को ज्योतिर्लिंग कहा गया है।
भारत के 12 ज्योतिर्लिंग और उनकी विशिष्टता
1. सोमनाथ (गुजरात)
यह वह स्थान है जहाँ चंद्र देव को अपने श्राप से मुक्ति मिली जब उन्होंने शिव जी की आराधना की।
यह लिंग पुनर्जन्म, चित्त की शांति और जीवन की पुनर्स्थापना का प्रतीक है।
2. मल्लिकार्जुन (आंध्र प्रदेश)
यह स्थल दुर्लभ है क्योंकि यह ज्योतिर्लिंग और शक्तिपीठ दोनों का रूप है।
यह पुराने कर्मों का नाश करता है और शिव-शक्ति की संयुक्त आराधना का केंद्र है।
3. महाकालेश्वर (उज्जैन, मध्य प्रदेश)
यहाँ शिव को "महाकाल" अर्थात समय के स्वामी के रूप में पूजा जाता है।
यह भस्म आरती के लिए प्रसिद्ध है और अकाल मृत्यु से रक्षा करता है।
4. ओंकारेश्वर (मध्य प्रदेश)
यह लिंग उस द्वीप पर स्थित है जो ‘ॐ’ के आकार का है।
यह ध्यान, आत्मसाक्षात्कार और साधना के लिए उत्तम स्थान है।
5. केदारनाथ (उत्तराखंड)
यह चार धाम और पंच केदार यात्रा का पवित्र तीर्थ है।
यह मोक्षदायक स्थल जन्मों के कर्मों को भस्म करता है।
6. भीमाशंकर (महाराष्ट्र)
यहाँ भगवान शिव ने रुद्र रूप में असुर भीमासुर का वध किया था।
यह धर्म की रक्षा करने वाला एक शक्तिशाली ऊर्जा केंद्र है।
7. काशी विश्वनाथ (वाराणसी, उत्तर प्रदेश)
शिव यहां मरणासन्न जीवों को मोक्ष मंत्र प्रदान करते हैं।
यह मोक्ष प्राप्ति का अद्भुत स्थान है और शिव की शाश्वत नगरी मानी जाती है।
8. त्र्यंबकेश्वर (महाराष्ट्र)
यह गोदावरी नदी (गौतमी गंगा) का उद्गम स्थल है।
यह पितृ दोष, श्राद्ध और मोक्ष अनुष्ठानों के लिए प्रमुख है।
9. वैद्यनाथ (झारखंड)
यहाँ शिव को वैद्य (चिकित्सक) के रूप में पूजा जाता है।
यह एक शक्तिपीठ भी है - स्वास्थ्य और मनोकामनाओं की पूर्ति हेतु।
10. नागेश्वर (गुजरात)
यह काला जादू, विष और भय को समाप्त करने वाला स्थान है।
यह कालसर्प दोष के निवारण के लिए उत्तम जगह है।
12. रामेश्वरम (तमिलनाडु)
यह एकमात्र ज्योतिर्लिंग है जिसे भगवान श्रीराम ने स्थापित किया।
इसे दक्षिण की काशी माना जाता है - काशी यात्रा की पूर्णता के लिए आवश्यक।
12. ग्रिश्नेश्वर (औरंगाबाद, महाराष्ट्र)
यह शिवलिंग एक महिला की अटूट भक्ति से प्रकट हुआ था।
यह एलोरा गुफाओं के निकट स्थित है और दया और करुणा का प्रतीक है।
ये सभी बारह ज्योतिर्लिंग, जिनका वर्णन शास्त्रों में मिलता है, जीवन को रूपांतरित करने वाली दिव्य शक्तियों से युक्त हैं। यदि इन्हें पारद धातु के माध्यम से घर में स्थापित किया जाए, तो यह घर को शुद्ध करते हैं और सुख-शांति लाते हैं।
पारद द्वादश ज्योतिर्लिंग: घर पर करें सभी 12 ज्योतिर्लिंगों की पूजा
पारद द्वादश ज्योतिर्लिंग वह दिव्य धातु जिसमें बारहों ज्योतिर्लिंग एक साथ समाहित हैं। शिव पुराण के अनुसार, बारह ज्योतिर्लिंगों के दर्शन पापों से मुक्ति प्रदान करते हैं। अब विचार कीजिए यदि यह बारहों रूप एक छोटे से लेकिन अत्यंत शक्तिशाली पारद स्वरूप में आपके घर में हों तो?
पारद, जिसे वैदिक शास्त्रों में ‘जीवंत धातु’ कहा गया है, शिव की ऊर्जा को धारण करता है। पारद द्वादश ज्योतिर्लिंग उन 12 पवित्र स्थलों के स्वरूप को एक ही मूर्ति में समेटे हुए है, जिसे आप घर पर पूज सकते हैं।
पारद द्वादश ज्योतिर्लिंग की पूजा से होने वाले लाभ:
1- सभी प्रकार के दोष और कर्मबन्धनों से मुक्ति
2- कालसर्प दोष का शमन
3- पितृ दोष का नाश
4- नवग्रह दोषों की शांति
5- ग्रह पीड़ाओं से राहत
6- काले जादू, वास्तु दोष और रोगों से रक्षा
7- नकारात्मक ऊर्जा का नाश
यदि आप बारहों ज्योतिर्लिंगों के तीर्थों पर नहीं जा सकते, तो पारद द्वादश ज्योतिर्लिंग उनका ही रूप है। घर बैठे ही सभी के दर्शन और पूजा का लाभ।
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पारद - शिव की प्रिय धातु
पारद को भगवान शिव का वीर्य माना गया है। यही कारण है कि इसे शिव की दिव्य ऊर्जा का सबसे पवित्र और शक्तिशाली माध्यम माना जाता है।
एक पारद शिवलिंग की आराधना एक करोड़ सामान्य शिवलिंगों की पूजा के तुल्य मानी जाती है।
आत्म-शुद्धि और सात्त्विक ऊर्जा का स्रोत
एक विधिवत प्राण-प्रतिष्ठित पारद शिवलिंग आत्मशुद्धिकारी होता है।
यह कभी अपवित्र नहीं होता और निरंतर positive vibrations उत्पन्न करता है, जिससे आपके घर, कार्यालय या पूजा स्थान की ऊर्जा शुद्ध रहती है।
सावन में पारद द्वादश ज्योतिर्लिंग की पूजा विधि
1- पारद ज्योतिर्लिंग को स्वच्छ कपड़े या तांबे की थाली पर रखें।
2- प्रतिदिन प्रातः जल अथवा दूध से अभिषेक करें।
3- दीपक जलाकर ताजे फूल या बिल्वपत्र अर्पित करें।
4- द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्र या “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का 108 बार जप करें।
5- ध्यान लगाएं या शिव पुराण का एक अध्याय पढ़ें।
आप सावन के पावन महीने में प्रतिदिन द्वादश ज्योतिर्लिंग मंत्र का जप भी करें, जिससे शीघ्र फल की प्राप्ति हो।
निष्कर्ष
जब बारहों ज्योतिर्लिंग एक पारद स्वरूप में समाहित हो जाते हैं, तब उसकी ऊर्जा चमत्कारी परिणाम देती है विशेषकर सावन जैसे पवित्र समय में।
यह उन सभी भक्तों के लिए एक उत्तम साधन है जो भगवान शिव से गहराई से जुड़ना चाहते हैं, उनका आशीर्वाद पाना चाहते हैं और आध्यात्मिक रूप से समृद्ध होना चाहते हैं।
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